पाकिस्तान अभी भी भारतीय शहर के लिए कार नंबर प्लेट क्यों जारी करता है

पाकिस्तान कई वर्षो से भारत के राज्यों और शहरों पर अपना हक़ जताते रहते है. केवल कश्मीर (Kashmir) और लद्दाख ही नहीं बल्कि गुजरात (Gujarat) के दो इलाकों को भी अपने आधिकारिक नक्शे में दिखाता रहा है. और पकिस्तान अब भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आता. पिछले 72 साल से अपने आधिकारिक नक्शे में इन दोनों जगहों जूनागढ़ (Junagadh) और माणावदर (Manavadar) को शामिल करके जाहिर करता रहा है.

पिछले कई सालो से वो इन इलाकों जूनागढ़ (Junagadh) और माणावदर (Manavadar) पर अपना दावा जताता है. इसके अलावा पाकिस्तान अपना जो हर राजनीतिक नक्शा प्रकाशित करता है, उसमें पाकिस्तान के सर्वे विभाग के अलावा पाकिस्तान सरकार की भी सीधी भागीदारी होती है.उसकी लाख कोशिशों के बावजूद जूनागढ़ ऐसी रियासत थी, जहां पाकिस्तान को ऐसी धोबी पछाड़ मिला कि उसका दर्द उसे हमेशाखलता रहा है.

पाकिस्तान जूनागढ़ को लेकर वो साल में कुछ वाहनों के लाइसेंस भी जूनागढ़ की प्लेट के नाम पर जारी करता है. खुन्नस में वो इसी इलाके से सटे दमन और दीव को भी भारत का अंग नहीं मानता. जूनागढ़ के नवाब ने 15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे.

उसने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाने की कोशिश की, लेकिन वहां उसके हाथ कुछ नहीं लगा. तब से पाकिस्तान आधिकारिक तौर पर जूनागढ़ और माणावदर को अपना ही इलाका मानता है.उसने कभी भारत में इन इलाकों के विलय को स्वीकार नहीं किया. इसके बावजूद  बाद में जब ऐसी ही हरकत पाकिस्तान ने माणावदर (Manavadar) में की तो वहां भी उसे भारत की कार्रवाई का सामना करना पड़ा.

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