ताजमहल को टक्कर देने वाली राधा स्वामी मंदिर, जिसमे लगा है 400 करोड़ का सोना

आगरा का दयालबाग राधास्वामी मंदिर जो चर्चाओं का विषय बना हुआ है, यह मंदिर चर्चाओं में इसलिए क्योकि इसमें लगा संगमरमर मंदिर की खूबसूरती पर चार चांद लगा रही है वही दूसरी तरफ इसकी 114 सालों की मेहनत से बनायह मंदिर देखने में भव्य और प्रभावशाली लग रहा है.

आखिर क्यों राधा स्वामी सत्संग सभा दयालबाग जमीन विवाद को लेकर चर्चाओं में था. आगरा में बना यह मंदिर चर्चा में है, जो खूबसूरती और कारीगरी के मामले में आगरा के ताजमहल को टक्कर देता है. 114 साल में तैयार किया गया यह मंदिर को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाओगे। जिसमे आपको 400 करोड़ की सोना इस मंदिर में सुंदरता को और बढाती है. 2001 की भारतीय जनगणना के अनुसार, दयाल बाग की जनसंख्या 3324 थी.

दयाल बाग कॉलोनी से सटा क्षेत्र स्वामी बाग के नाम से जाना जाता है, जो राधा स्वामी मंदिर की सुरक्षा करता है. राधास्वामी संप्रदाय जिसकी स्थापना आगरा के ही शिव दयाल सिंह ने 1861 में बसंत पंचमी के दिन आगरा में किया था. दयालबाग की स्थापना भी बसन्त पंचमी के दिन 20 जनवरी 1915 को शहतूत का पौधा लगा कर की गई. याल बाग सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि एक आत्मनिर्भर कॉलोनी है, जहां के निवासी सक्रिय, अनुशासित और सहयोगात्मक सामुदायिक जीवन जीते हैं

आखिर क्यों राधा स्वामी नाम रखा गया?

कुछ अन्य विद्वानों के अनुसार यह नाम शिव दयाल सिंह की पत्नी के नाम पर पड़ा. उनकी पत्नी नारायणी देवी को उनके अनुयायियों द्वारा राधा जी उपनाम दिया गया था. राधा स्वामी” का प्रयोग शिव दयाल सिंह की ओर संकेत करने के लिए किया जाता है. शिव दयाल सिंह के अनुयायी उन्हें जीवित गुरु और राधास्वामी दयाल का अवतार मानते थे. हालांकि राधा जी (नारायणी देवी) के पति होने के कारण, शिव दयाल सिंह का नाम राधा स्वामी रखा गया.

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