Navratri 2nd Day Pooja : मां ब्रह्मचारिणी माता दुर्गा की ही दूसरा रूप है, और हर साल नवरात्री के दुसरे दिन माता ब्रम्हचारिणी की पूजा की जाती है| ब्रह्मचारिणी का अर्थ है अनंत में विद्यमान, यानि की एक ऐसी सकारात्मक ऊर्जा जो अनन्त में विचरण करती है| मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है| जिनकी पूजा से व्यक्ति को दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है| यही कारण है कि परीक्षा-प्रतियोगिता की तैयारी में मनचाही सफलता पाने के लिए छात्र माता के इस पावन स्वरूप की विशेष रूप से पूजा करते हैं| नवरात्र का दूसरा माता आदिशक्ति की दूसरी सिद्ध स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। माना जाता है कि देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से सभी कार्य सफल होते हैं| तो आइये जानते माँ ब्रम्हचारिणी की पूजा अर्चना की कथा एवम विधि के बारे में-
माँ दुर्गा की ब्रम्हचारिणी रूप की कथा (Navratri 2nd Day Pooja)
यहाँ पर ब्रम्ह: शब्द का अर्थ है, तपस्या ब्रम्हचारिणी अर्थात तप के चारिणी, यानि के ताप का आचरण करने वाली, देवी सती ने जब शैल पुत्री के रूप में जन्म लिया था| तब सभी मनुष्यों की तरह उन्हें भी पिछले जन्म की कोई भी घटना याद नहीं थी| और उधर भगवान शंकर अपनी पहली पत्नी सती के शोक में डूबे हुए थे, तब देवताओ ने भगवान शिव को शोक से उबारने के लिए शैलपुत्री को उनके पत्नी बनाने का विचार किया|और देवरिषि नारद को शैलपुत्री के पास भेजा| देवरिषि नारद ने जब शैलपुत्री से भगवान शंकर को अपने पति बनाने के लिए प्रेरित किया| तब देवी शैलपुत्री ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए हजारो वर्ष तक इतनी कठोर तपस्या की थी की तीनो लोको में हाहाकार मच गया था| देवी शैलपुत्री की तपस्या बहुत अभूतपूर्व थी| और ऐसी कठोर तपस्या कभी किसी ने भी नहीं किया था, इस कारण इसका नाम ब्रम्हचारिणी पड़ गया था| देवी दुर्गा के इस ब्रम्हचारिणी स्वरुप के दायें हाथ जप की माला तथा बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित रहता है| इनकी उपासना करने वाले मनुष्य कठिन से कठिन कार्यो को भी करने से इनका मन विचलित नहीं होता है|
पूजा की विधि (Navratri 2nd Day Pooja)
माता की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठे और स्नान करे और पूजा के स्थान पर गंगाजल डाल कर उसे पवित्र करे। माँ का गंगाजल से अभिषेक करे। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने पर कुंडली से जुड़ा मंगल दोष और उससे होने वाली तमाम तरह की परेशानियां दूर होती हैं| ऐसे में आज अपनी कुंडली में मंगल ग्रह को मजबूत करके भूमि-भवन, बल आदि का आशीर्वाद पाने के लिए विशेष्ज्ञ रूप से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें| हलवा या फिर चीनी का भोग लगाने पर शीघ्र ही देवी कृपा प्राप्त होती है और साधक को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं|
- जो व्यक्ति मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करता हे, उसे अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त होती है| क्योंकि मां ब्रह्मचारिणी ने अपने तप और साधना से शिव जी को प्रसन्न करके अपने उद्देश्य में सफल हुई थीं|
- अब माँ दुर्गा को अर्घ्य दें, उसके बाद देवी को वस्त्र, पुष्प, फल, आदि अर्पित करें|
- इसके बाद घर में दीप प्रज्वलित करे।
- माँ को अक्षत, लाल सिंदूर और पुष्प अर्पित करे और फल और मिठाई का भोग लगाये।
- इसके बाद धुप कर करे माता चालीसा का जाप करे।
माँ ब्रम्हाचारिणी पुजा मंत्र
1. या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
2. दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
आज का शुभ रंग (Navratri 2nd Day Pooja)
मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग अति प्रिय है, भक्त पूजा के समय गुलाबी या सफेद रंग के वस्त्र धारण करें। और सफ़ेद फूलो की माला चढ़ाये वैसे माता को लाल पुष्प बहुत ही प्रिय है| तो आप लाल पुष्प भी अर्पित कर सकते है|
माँ ब्रह्माचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।(1)
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।(2)
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।(3)
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।(4)
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।(5)
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।(6)
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।(7)
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।(8)
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।(9)
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।(10)
टिप – माता रानी आप सबकी मनोकामना पूरी करे आप सब मस्त रहे|
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