Knowledge: आइये जानते है ‘‘सब्ज” से बना सब्जी और पूड़ी की बहन सब्जी कहां से आयी है

वीकेंड पर कुछ चटपटा, कुछ हेवी नाश्ता करना आमतौर पर लोग पसंद करते हैं. इस लिस्ट में पूड़ी-सब्जी का नाम अक्सर सबसे पहले आता है. सिर्फ नाश्ता ही क्यों, शादियों में, पार्टी में या गांवों में होने वाले भोज तक में पूड़ी-सब्जी अहम मानी जाती है. और नवरात्रों में तो कई जगहों पर माता रानी का खास प्रसाद होता है पूड़ी, काले चने और हलुवे का. पर क्या आपको पता है कि एक तरफ जहां पूड़ी संस्कृत से आया शब्द है वहीं सब्जी तो फारसी से आई है.

संस्कृत में एक शब्द है पूरिका जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में किया गया है. ये एक पारंपरिक भारतीय व्यंजन है जिसे बहुत से तरीकों से बनाया जाता है लेकिन ज्यादातर लोग नमक-अजवायन वाली पूड़ी ही खाना पसंद करते हैं. सूखी सब्जी के साथ खाइए या गीली सब्जी के साथ, ये तो खाने वाले की पसंद पर निर्भर करेगा.

बनाने का तरीका ही नहीं, इसके साइज भी अलग-अलग होते हैं. उत्तर भारत के ज्यादातर जगहों पर पूड़ी मध्यम आकार की होती है तो यूपी-बिहार में थोड़े बड़े साइज की. गुजरात या बंगाल में तो छोटी पूरियां बनाई जाती हैं और बंगाल में इसे लूची कहते हैं.

क्या आपको पता है हरिद्वार या बनारस में गंगा स्नान करने के बाद पूड़ी खाने की परंपरा है. लोग गंगा स्नान करके आते हैं और पास की पूड़ी की दुकानों पर चले जाते हैं. इन जगहों पर पूड़ी-सब्जी के साथ जलेबी या कुछ मीठा भी दिया जाता है और ये सब्जी सात्विक होती है यानि बिना लहसुन-प्याज वाली.

‘सब्ज’ से बनी सब्जी

फारसी भाषा का एक शब्द है सब्ज या सब्जा, जिसका मतलब होता है हरा रंग. इसी शब्द से बना शब्द सब्जी. सब्ज यानी हरे रंग तो सब्जी का असली मतलब है हरे पत्ते या हरी सब्जी, लेकिन आम भाषा में आलू, प्याज, टमाटर को भी सब्जी ही कहा जाता है. हिंदी में सब्जी के लिए शब्द है साग जो संस्कृत के शाक से बना है और इसलिए इस खाने को शाकाहारी कहा जाता है. साग के साथ एक शब्द अक्सर इस्तेमाल होता है.

सब्जी को बहुत से लोग तरकारी भी कहते हैं. सब्जी और तरकारी दोनों शब्द ही फारसी के हैं जो उर्दू से होते हुए हिंदी में आए. फारसी भाषा में दो शब्द हैं, पहला है तर यानी तरा जिसका मतलब होता है सागभाजी या तरकारी. दूसरा शब्द है तर जिसका मतलब है गीला और ताजा. कहा जाता है कि यह तर शब्द फारसी में संस्कृत की तृप् धातु से बना है.

पूड़ी-सब्जी के बारे में इतना पढ़ने-जानने के बाद यकीनन आपका मन भी इसे खाने का करने लगा होगा. तो देर किस बात की है, पूड़ी-सब्जी के चटकारे लीजिए और खाते वक्त बातचीत के दौरान साथियों को भी बताइए कि ये किस भाषा के शब्द हैं.

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