Gyanwapi Masjid: आखिर क्यों है इतने चर्चे में? जाने पूरी स्टोरी

Gyanwapi Masjid case  (ज्ञानवापी मस्जिद केस)

Gyanwapi Masjid कोर्ट के आधार पर कोर्ट ने जो आदेश दिया है, उसके आधार पर Gyanwapi Masjid पर सर्वे शरू हो गया है| और सर्वे का आदेश देने के पीछे कोर्ट का मकसद क्या है| सर्वे में ये जानने की कोशिश की गयी है, कि क्या Gyanwapi Masjid किसी मंदिर को तोड़कर बनायीं गयी थी| कोर्ट के फैसले के बाद बौखलाए मुस्लिम पक्ष| फ़िलहाल ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुच गया है| जिसकी 19 मई यानि आज सुनवाई होगी| पहली बार ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का ये मामला साल 1991 में कोर्ट पंहुचा था| जिसमे ये दावा किया गया कि जिस स्थान पर मस्जिद है वहां पहले वो मंदिर था|

इसवी सन 1600 से पहले महाराजा विक्रमादित्य ने इस स्थान पर मंदिर बनवाया था| बाद में 1669 में मुग़ल शासक औरंगजेब के फरमान पर इस मंदिर को तोड़कर इस मंदिर पर मस्जिद बना दिया गया| हिन्दुओ का कहना है, की पहले से ही उन स्थान पर शिवलिंग है जो आदिकाल से धरती से निकली हुयी है| इसलिए मंदिर को तोड़ने के बाद भी उसे हटाया नहीं गया|इसी आधार पर हिन्दुओ ने माग की है की इस पूरी जमीन को हिन्दुओ को दिया जाये| Gyanwapi Masjid विवाद में 2 पक्ष शामिल है|

Gyanwapi Masjid

Kashi Vishvnath Dham temple  (काशी विश्वनाथ धाम स्टोरी)

ये दोनों जो मदिर एक दुसरे के पास में है, और ये दोनों मंदिर एक ही परिसर में बने हुए है| और यही परिसर दोनों के बिच का मुख्य विवाद का कारण है|इस विवाद में हिन्दू समुदाय का एक समूह भूमि के सभी हिस्सों पर अपना दावा करते है| उनका कहना है कि ये जो मस्जिद परिसर वो पूरा हिन्दुओ का है| और उन्हें वहां पर पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिये|

और मुस्लिम समुदाय भी इस दावे का विरोध कर रहा है| उनका कहना है कि दोनों जो स्थान है, वो अलग अलग है| और दोनों धर्मो को अलग अलग जगहों पर पूजा करनी चाहिए| 

Kashi Vishvnath Dham temple
Kashi Vishvnath Dham temple

Gyanwapi Masjid History (ज्ञानवापी मस्जिद इतिहास)

इस विवाद की शुरुवात हुयी साल 1984 में जब दिल्ली में जितने संत थे उन्होंने एक धर्म संसद के दौरान, वाराणसी, मथुरा, और अयोध्या में मंदिरों दावा करने का एक राष्ट्रिय आवाहन दिया गया| इसके बाद 1990 दसक में जो बाबरी मस्जिद, और राम जन्म भूमि विवाद था वो अभी अपने चरम पर था| उसके बाद साल 1992 में बाबरी मस्जिद का विध्वंश कर दिया गया|

ये जो विवाद था उसमे दो मस्जिद और भी शामिल थी|

मथुरा शाही ईदगाह मस्जिद

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद

इसके बाद सरकार ने इन विवादों को देखते हुए इनकी रक्षा करने के लिए सन 1991 में उपासन स्थल (विशेष उपबंध) 1991 में लागु किया गया| इस अधिनियम के तहत प्रावधान था कि पूजा स्थलों की प्रकृति को 1947 के अनुरूप बनाया रखा जायगा|

Gyanwapi Masjid Varanasi (ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी)

वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और उससे लगी ज्ञानवापी मस्जिद दोनों के निर्माण और पुनर्निर्माण को लेकर कई तरह के धारणाये और विवाद पैदा हुए है| यहा का मान्यता है, कि विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने तोद्वा दिया था| और वंहा मस्जिद बना दी गयी| कुछ लोगो का मानना है| कि Gyanwapi Masjid को 14वी सदी में जौनपुर के सर्की सुल्तानों ने बनवाया था| और उसके लिए उन्होंने पहले से मौजूद विश्वनाथ मंदिर को तोड़वाया था| लेकिन इस मान्यता को मानने से कई इतिहासकारों ने मन कर दिया था| जहाँ तक विश्वनाथ मंदिर का सवाल है| तो विश्वनाथ मंदिर का श्रेय अकबर के नौरत्नों में से एक राजा टोडरमल को जाता है| जिन्होंने साल 1585 में अकबर के आदेश पर भारत की विद्वान नारायण भट्ट की मदद से बनाया था|

दूसरी ओर यह माना जा रहा है की ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाया गया था| और मंदिर को तोड़ने का आदेश औरंगजेब ने दिया था| ज्ञानवापी मस्जिद की देख-रेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतजामिया मस्जिद के सयुक्त सचिव, मोह्हमद यासीन कहते है| कि आमतौर पर मस्जिद और मंदिर दोनों ही अकबर ने साल 1585 के आस-पास नए मजहब दिन इलाही के तहत बनवाए थे| ज्यातर कोग यही मानते है| की ये लोग अकबर के ज़माने में ही बने थे| औरंगजेब ने मंदिर को तोड़वा दिया था|

Gyanwapi Masjid Shivling History (ज्ञानवापी मस्जिद और शिवलिंग का इतिहास)

वाराणसी (Varanasi) में ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) में शिवलिंग (Shivling) पाए जाने के दावे के बाद से ही शब्दों की जंग शुरू हो गई है| बाबा यानि शिवलिंग के मिलने के दावे पर हिंदु पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में स्थित नंदी भगवान जो महादेव की तरफ देख रहे हैं, उसके ठीक सामने जो वजूखाना है, उसके ठीक बीच कुंए जैसे आकार की दीवार बनी हुई थी, उसके बीच में ही आज शिवलिंग देखा गया है।व्जुखाने से शिवलिंग निकलने की बात को सिरे से खारिज कर दिया है| उनका निति देश के खिलाफ है|

हिंदु पक्ष के वकील विष्णु जैन ने दावा करते हुए कहा कि जो शिवलिंग उन्होंने और उनकी टीम ने देखा उसके मुताबिक शिवलिंग 4 फीट व्यास का है, और 3 फुट ऊंचा है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि यह शिवलिंग और भी नीचे तक जाएगा क्योंकि इसके पीछे से एक रास्ता जा रहा है, जो इसके नीचे तक जाता है, चूंकि वो दीवार बंद है। कोर्ट ने उस जगह को सील करने और उसकी सुरक्षा में सीआरपीएफ की तैनाती की है।

के वजुखाने से शिवलिंग निकलने की बात को लेकर मुसलमानों ने कहा, कि ये मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने के आरोप लगाते हुए कि इससे देश का ही नुकसान होगा| ‘ये लोग देश में नफरत फैला रहे हैं| और जहां तक कुतुबमीनार या Gyanwapi Masjid के बनने की बात है| तो ये कोई आज की बनी नहीं इसे बने हुए सालो हो गये है| कोर्ट ने उस जगह को सील करने और उसकी सुरक्षा में सीआरपीएफ की तैनाती की है।

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