Gandhi Jayanti 02 October : 02 अक्टूबर को गाँधी जयंती क्यों मनाई जाती है, जाने गांधी जी के जीवन से जुड़े राज के बारे में

Gandhi Jayanti 02 October : महात्मा गांधी की जयंती हर वर्ष 2 अक्टूबर को मनाई जाती है, 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर शहर में गांधी जी का जन्म हुआ था। आज देश के राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जी की जयंती मनाई जा रही है| गांधी जी ने स्वतंत्रता के लिये अंग्रेजों के खिलाफ अपने पूरे जीवन भर संघर्ष किया था| उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए देश को 200 वर्षों की गुलामी के बाद आजादी दिलायी थी| भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में जान फूंकने वाले और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लोग प्यार से बापू भी कहते हैं। यही नहीं बल्कि समाज में व्याप्त कुरीतियों पर भी जंग छेड़ी थी।

            अहिंसा का नाम आते ही सबसे पहले भारत और महात्मा गांधी की छवि आपके दिमाग में आती है। महात्मा गांधी ने एक लाठी के दम पर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। महात्मा गांधी ने एक लाठी के दम पर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। गांधी जयंती के दिन स्कूल, कॉलेजों में वाद-विवाद और भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन होता है। तो आज इस साल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 153वीं जयंती मनाई जा रही है| आइये जानते है, इनके जीवन में भरे राज और तथ्यों के बारे में –

गाँधी जी की जीवन परिचय (Gandhi Jayanti 02 October)

इस साल देश महात्मा गांधी की 153वीं जयंती मनाया जा रहा है, और हर साल की तरह इस साल भी 02 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाई जा रही है| उनका जन्म 02 अक्टूबर 1869 को गुजरात के एक तटीय शहर पोरंबदर में हुआ था| नके पिता का नाम करमचंद्र गांधी था, जो ब्रिटिश राज के समय कठियावाड़ा की एक रियासत के दीवान थे। महात्मा गांधी जी का विवाह महज 13 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गांधी के साथ हुआ था। गांधी जी का जीवन कठिनाइयों से भरा रहा। विवाह के 2 साल पश्चात उनके पिता का निधन हो गया और पिता की मृत्यु के ठीक एक साल बाद उनकी पहली संतान हुई और कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो गई। 

               हालांकि जीवन में एक के बाद एक कठिन परिस्थियों के बाद भी बापू ने हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई जारी रखी। 1887 में अहमदाबाद से हाई स्कूल की डिग्री प्राप्त करने के बाद 1888 में वकालत की पढ़ाई के लिए ब्रिटेन गए। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में जान फूंकने वाले और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लोग प्यार से बापू भी कहते हैं।  इस बार हम महात्मा गांधी जी की 153वीं जन्म जयंती मनाने जा रहे हैं। और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 जून 2007 को 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया था। इस दिन इस दिन दिल्ली में राजघाट पर महात्मा गांधी जी की समाधि पर राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री ने श्रद्धांजलि अर्पित किया है|

गाँधी जी की राष्ट्रपिता बनने की कहानी (Gandhi Jayanti 02 October)

2 अक्टूबर 1869 को गांधी जी का जन्म हुआ था। देश भर में हम गांधी जी के योगदान को हम कभी भी नहीं भुला पाएंगे और इसे सदियों तक याद रखेगा।  गाँधी जी हमेशा हमारे दिल में रहेंगे| वह सदैव अहिंसा का पाठ, सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा ने देश को अंग्रेजों के सामने एक मजबूत संकल्प के तौर पर अडीग रहे। गांधी जी को लोग बापू, महात्मा गांधी और देश के राष्ट्रपिता के नाम पर भी जानते हैं। क्योकि उनका पूरा जीवन ही हमें एक अच्छा नागरिक बनने का उपदेश देती है| जो हमें हमेशा सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

          गाँधी जी एक अच्छे और सच्चे विचारधारा के नेता थे| गांधी जयंती के दिन स्कूल, कॉलेजों में वाद-विवाद और भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन भी होता है। आज हम आपको गांधी जयंती के मौके पर स्पीच आइडियाज देंगे। गांधी जी ने अहिंसा के रास्ते पर चलकर ही साउथ अफ्रीका में रह रहे 75000 भारतीयों को उनके अधिकार दिलाए। गांधी जी इस बात में बहुत विश्वास करते थे| कि हिंसा के रास्ते पर चलकर आप कभी भी अपने अधिकार नहीं पा सकते। 

राष्ट्रपिता बनने उपाधि किसने दी (Gandhi Jayanti 02 October)

गाँधी जी को राष्ट्रपिता बन्ने की उपाधि देने वाले भी हमरे देश के वीर पुरुष ही हैं जिन्होंने हमारे देश के बहुत कुछ किया और हमारे लिए एक अच्छा जीवन छोड़ गए है| वे वीर पुरुष के नाम है –

  • रविन्द्र नाथ टैगोर|
  • सुभाष चन्द्र बोस|
  • बारदोली की महिलाएं|
  • अकबर द्वितीय|

गाँधी जी को प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विट करके श्रद्धांजलि दी

प्रधानमंत्री मोदी ने भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए एक ट्वीट में लिखा कि गांधी जयंती पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि। यह गांधी जयंती और भी खास है क्योंकि भारत आजादी का अमृत पर्व मना रहा है। मैं लोगों से अपील करता हूं कि हमेशा बापू के आदर्शों पर चलें। मैं आप सभी से गांधीजी को श्रद्धांजलि के रूप में खादी और हस्तशिल्प उत्पाद खरीदने का भी आग्रह करता हूं।

महात्मा गांधी के 08 अनमोल विचार

एक विनम्र तरीके से आप दुनिया को हिला सकते हैं यह गाँधी का उपदेश था|

विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए. जब विश्वास अंधा हो जाता है तो मर जाता है|

डर शरीर की बीमारी नहीं, आत्मा को मारता है, तो अपने अन्दर की डर को निकालकर ही आप बाधाओं से लड़ सकते है|

पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हंसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे और तब आप जीत जाएंगे|

जिस दिन से एक महिला रात में सड़कों पर स्वतंत्र रूप चलने लगेंगे, उस दिन से हम कह सकते हैं कि भारत ने स्वतंत्रता हासिल कर ली है| और यह हमारे लिए गर्व की बात होगी|

अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के सामान है जो धरातल की सतह को चमकदार और साफ कर देती है|

जो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाए हुए धन के बराबर होता है|

बुद्धिमान लोग काम करने से पहले सोचते हैं और मूर्ख लोग काम करने के बाद सोचते है|

क्यों मनाया जाता है अहिंसा दिवस (Gandhi Jayanti 02 October)

महात्मा गांधी ने अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने के लिए स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। लेकिन उनकी आजादी की लड़ाई का तरीका एकदम अलग था। वह बिना किसी को चोट पहुंचाए, बिना हिंसा के अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने में यकीन रखते थे। गांधी जी को उनके अहिंसात्मक आंदोलन के लिए जाना जाता है। उनके अहिंसात्मक व्यवहार के कारण वैश्विक तौर पर गांधी जी को सम्मान मिला। इसी सम्मान को  व्यक्त करने के लिए 2 अक्टूबर को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा| फिर हिंसा दिवस को दो अक्टूबर को मनाने के पीछे वजह महात्मा गांधी हैं। महात्मा गांधी या भारत के राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर को ही हुआ था। गांधी जी की याद में उनके जन्मदिन के दिन अहिंसा दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया।

गांधी जी का अंतिम समय

गांधी जी समेत कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का योगदान सफल हुआ| और 15 अगस्त 1947 में भारत को आजादी मिल गई। उसके बाद 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे ने गांधीजी की हत्या कर दी। अहिंसा का संदेश देने वाले इस महान विभूति के जीवन का अंत हो गया। इसी के साथ नेताजी द्वारा पहली बार राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी देश के हर नागरिक के लिए राष्ट्रपिता बन गए। और हमारे जीवन में एक अच्छा नागरिक बनने का छाप छोड़ गए|

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