Gyanvapi Masjid ज्ञानवापी मस्जिद जिसे कभी कभी आलम गिर मस्जिद भी कहा जाता है| वाराणसी में स्थित ये मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर से बिलकुल चिपकी हुयी है| जानकारों के अनुसार 1669 में मुग़ल शाशक औरंगजेब ने प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर को तोड़कर Gyanvapi Masjid बनायीं थी| ज्ञानवापी एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है| “ज्ञान का कुआ” आपको बता दे की Gyanvapi Masjid विवाद का मामला कोई नया मामला नहीं है| गौरतलब है कि 1991 से इस मंदिर को हटाकर मस्जिद बनाने को लेकर लड़ाई चल रही है| पर 2022 में सर्वे होने के बाद से ये मस्जिद ज्यादा चर्चा में बनी हुयी है| इस आर्टिकल में हम आपको Gyanvapi Masjid से जुड़े सारे इतिहास के बारे में बताएँगे| उसके आप आर्टिकल के अंत तक बने रहे, क्या है Gyanvapi Masjid का काला सच आइये जानते है|
शिवलिंग का मूर्ति मिला वजुखाने में
दावा किया जा रहा है कि मस्जिद की वजुखाने में 12.8 व्यास का एक शिवलिंग प्राप्त हुवा है| जिसे छुपा दिया गया था, जबकि मस्जिद प्रशासन इसे वजुखाने का फव्हारा बता रहा है|
Gyanvapi Masjid का क्या है इतिहास
काशी विश्वनाथ मंदिर और उससे सटी Gyanvapi Masjid को किसने बनवाया इसको लेकर कई तरह की बाते हो रही है| लेकिन ठोस इतिहासिक जानकारी दुर्लभ है| आमतौर पर ये माना जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने ध्वस्त करवाया था| और वंहा एक मस्जिद का निर्मांण करा दिया गया था| दावा किया जा रहा है कि चौथी और पांचवी शताब्दी के बिच चन्द्रगुप्त द्वितीय ने गुप्त साम्राज्य के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था|
आपको बता दे की ये वही चन्द्रगुप्त है, जिन्हें संसार विक्रमादित्य के नाम से जानता है| 635 इसवी में प्रसिद्द चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने वृन्तान्तो में मंदिर और वाराणसी का वर्णन किया था| 1194 से 1197 तक मोह्हमद गौरी के आदेश से मंदिर को काफी हद तक नष्ट किया गया था| पुरे इतिहास में मंदिरों के विध्वंश और एक श्रृखला शुरू हो गयी| माना जाता है की कई हिन्दू मंदिरों को तोडा गया और उनका पुनर निर्माण किया गया| आगे चलकर साल 1669 में औरंग जेब के आदेश से मंदिर को अनतः ध्वस्त कर दिया गया औए वंहा मस्जिद बनवा दी गयी|
Gyanvapi Masjid में नमाज पढने का अधिकार कब मिला
1776 से 1778 के बिच इंदौर की रानी अहिल्या बाई होलकर ने Gyanvapi Masjid के पास वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोधार किया| आगे चलकर 1936 में पुरे ज्ञानवापी क्षेत्र में नमाज अदा करने का अधिकार के लिए ब्रिटिस सरकार के खिलाफ जिला नायालय में मुकदमा दायर किया| उस समय वादी निषाद को गवाह को पेश किये , जबकि ब्रिटिस सरकार ने 15 गवाह पेश किये थे| Gyanvapi Masjid में नमाज अदा करने का अधिकार स्पस्ट रूप से 15 अगस्त 1947 को दिया गया था| जिसमे कहा ह्या था कि ज्ञानवापी संकूल में ऐसी नमाज कही और नहीं पढ़ी जा सकती| 10अप्रैल 1942 को उच्च न्यालय ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा| और अन्य पक्षों की अपील को ख़ारिज कर दिया गया|
पंडित सोमनाथ व्यास, डॉक्टर रामरंग शर्मा, और अन्य ने Gyanvapi Masjid में नए मंदिर के निर्माण और पूजा की स्वतंत्रता लिए 15 अक्टूबर 1991 को वाराणसी के अदालत में एक मुक़दमा दायर कर दिया| अंजुमन इन्तिजामिया मस्जिद और उत्तरप्रदेश सुन्नी बोर्ड लखनऊ ने 1998 में 2 याचिकाए दायर कर इस आदेश को चुनौती दी थी| इसके बाद 7 मार्च सन 2000 को पंडित सोमनाथ व्यास का निधन हो गया| पूर्व जिला लोक अभियोजक विजय शंकर रस्तोगी को 11 अक्टूबर 1918 को मामले में वादी नियुक्त कर दिया गया|
17 अगस्त 2021 में शहर की 5 महिलाये राखी सिंग, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, सीता साहू, और रेखा पाठक ने वाराणसी के सत्र न्यालय में याचिका दायर की थी, और ज्ञानवापी मस्जिद में स्थित श्रृंगार गौरी का उन्होंने नियमित दर्शन पूजन के अनुसार अनुमति मांगी| और मस्जिद में सर्वे कराया गया|
Gyanvapi Masjid हिन्दू मान्यताएं के अनुसार
हिन्दू परम्परा के अनुसार 1669 में मुग़ल शाशक औरंगजेब ने प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर को तोड़कर Gyanvapi Masjid बनायीं थी| मंदिर परिसर में ही श्रींगार गौरी, श्री गणेश,और हनुमान जी के सथानो को भी ध्वस्त कर दिया गया था| मान्यता है कि पश्चिमी दिवार जो की पूरी तरह किसी मंदिर के मुख्य द्वार जैसे प्रतीत होती है| वो श्रृंगार गौरी मंदिर का प्रवेश द्वार होगा| जिसे बॉस और मिटटी से बंद कर दिया गया है| इसके अलावा ये भी माना जा रहा है की Gyanvapi Masjid के अन्दर गर्भ गृह भी हो सकता है| इसी पश्चिमी दिवार के सामने एक चबूतरा है, जहाँ श्रृंगार गौरी के मूर्ति है जो सिन्दूर से रंगी है| साल में एक दिन चैत्र-नवरात्री के तीसरे दिन हिन्दू पक्ष के द्वारा यहाँ पूजा की जाती है| लेकिन 1991 से पहले ये पूजा नियमित रूप से की जाती थी|
Gyanvapi Masjid के सर्वे का सच
08 अप्रैल 2022 को सत्र न्यालय ने सिविल जज सीनियर डिविजन ने वकील अजय कुमार विष्णु को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया| और Gyanvapi Masjid में सर्वे करवाने की अनुमति दी| जिसकी रिपोर्ट 17 मई तक दाखिल करने को कहा गया, जिस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई और हाईकोर्ट पहुच गए| परन्तु कोर्ट ने सर्वे पर रोक से इनकार कर दिया| 14 मई को कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार विष्णु की अगुवाई में पहले दिन सर्वे हुवा| सुबह 08 से लेकर 12 बजे तक सर्वे किया गया| राउंड 1 में सभी 04 तैखाने को खोलवाकर सर्वे किया गया| अगले दिन 15 मई को 02 राउंड का सर्वे हुवा|
दुसरे दिन भी 04 घंटे तक सर्वे का काम जारी रहा| लेकिन कागजी कार्यवाही के कारन सर्वे टीम डेढ़ घंडे बाद बाहर निकली| 02 राउंड में गुम्बदो, नमाज स्थल, वजुस्थल के साथ-साथ पश्चिमी दरवाजो की वीडियो ग्राफी ही हुयी| मुस्लिम पक्ष ने चौथा ताला खोला साड़े तिन फिट के दरवाजे से होकर गुम्बद तक का सर्वे किया गया| इसके बाद 16 मई को आखरी दौर का सर्वे हुवा जहाँ 02 घंटे में सर्वे का काम पूरा कर लिया गया| इस दौरान हिन्दू पक्ष ने Gyanvapi Masjid में शिवलिंग मिलने का दावा किया| इस दावे के बाद कोर्ट ने शिवलिंग वाली जगह को शील करने का आदेश दे दिया|
Gyanvapi Masjid प्रथम सर्वे रिपोर्ट
प्रथम सर्वे रिपोर्ट ये रिपोर्ट 06 और 07 मई की है| लगभग 2 से 3 पन्नो के रिपोर्ट है जिसके मुताबिक 06 मई को किये सर्वे दौरान बेरीगेटिंग के बाहर उत्तर से पश्चिम की ओर दिवार के कोने पर पुराने मंदिरों का मलवा मिला| जिस पर पुराने देवी देवताओ के आकृतियाँ बनी हुयी थी| और अन्य शिलापट्ट भी थे, जिनपर पर कमल की कलाकृति देखि गयी| पत्थरों के भीतर के तरफ कुछ कला आकृत्या आकर में स्पस्ट रूप से कमल और अन्य आकृती थी|
उस समय इस पुरे सर्वे की विडियो ग्राफी की भी करायी गयी थी| उत्तर से पश्चिम की और चलने पर शेषनाग की कला आकृति थी| शिलापट्ट पर शिन्दुरी रंग की उभरी हुयी आकृति भी थी| चौथी आकृति जो मूर्ति की तरह प्रतीत हो रहे, उस पर सिन्दूर का मोटा लेप लगा हुवा है| शिलापट्ट भूमि पर पड़े काफी लम्बे समय से है| ऐसा परतीत हो रहे है|
ज्ञानवापी मस्जिद दुसरे सर्वे रिपोर्ट
ये लगभग 12 से 14 पन्नो की रिपोर्ट दर्ज की गयी है| अजय कुमार विष्णु की तरह विशाल सिंह की रिपोर्ट में भी Gyanvapi Masjid परिसर में हिन्दू आस्था से जुड़े कई निशान मिलने की बात कही गयी है| रिपोर्ट में शिवलिंग बताई जा रही पत्थर को लेकर भी डिटेल जानकारी दी गयी है| इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वजुखाने में पानी कम करने पर ढाई फिट तक की एक गोलाकार आकृति दिखाई दी| जो शिवलिंग जैसी प्रतीत हो रही थी| हिन्दू पक्ष इसे शिवलिंग बता रहा है , तो मुस्लिम पक्ष इसे फव्हारा बता रहा है| परन्तु सर्वे के दौरान जब फव्हारे को चलाकर दिखाने को कहा, तब मस्जिद कमेटी के मुंसी फव्हारा चलाने में असफल रहे|
मुस्लिम पक्ष नही कर पाई साबित
रिपोर्ट में तैखाने के अन्दर मिले आकृतियों के जिक्र करते हुए कहा गया है| की दरवाजे से लगते हुए लगभग 02 फिट बाद दिवार पर जमीन से लगभग 03 फिट ऊपर पान के पत्ते के आकार का फुल की आकृति बनी थी| जिनकी संख्या 06 थीं| तैखाने मर 04 दरवाजे थे, उनके स्थान पर नयी ईट लगाकर उन दरवाजो को बंद कर दिया गया था| तैखाने में 04 खम्बे पुराने तरीके के थे, जिसकी उचाई 08 फिट थी| निचे से ऊपर तक घंटी, कलश , फुल की आकृतियाँ पिलर के चारो तरफ बनी हुयी थी| एक खम्बे पर पुराणी हिंदी भाषा में सात लाइन खोदी गयी है, जो पढने योग्य नहीं थे|
और भगवान की फोटो भी जमीन पर पड़ा मिटटी से सना हुवा था| रिपोर्ट में कहा गया अन्य तहखाने में दिवार के पत्थरो की आकृतियाँ, हाथी की टूटी हुयी सूड, त्रिसुल, स्वस्तिक , पान के चिन्ह और उसकी कला आकृतियाँ बहुत अधिक भाग में खोदी गयी है| ये सब कला आकृति प्राचीन भारतीय मंदिर के है| जो काफी पुरानी है|
सुप्रीम कोर्ट में Gyanvapi Masjid मामलो की अगली सुनवाई गर्मियों की छुट्टी के बाद जुलाई के दुसरे हफ्ते में होगी|
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