Prithviraj Chauhan एक बायोपिक ऐतिहासिक ड्रामा कहानी पर आधारित

Prithviraj Chauhan एक बायोपिक ऐतिहासिक ड्रामा कहानी पर आधारित

पृथ्वीराज चौहान एक बेहद बायोपिक ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म है, ये फिल्म पृथ्वीराज चौहान के जीवन पर आधारित है | इस फिल्म को डायरेक्ट किया है, चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने | और यह फिल्म आदित्य चोपड़ा प्रोडक्शन यशराज फिल्म के तहत बनायीं गयी है | इस फिल्म में अक्षय कुमार पृथ्‍वीराज चौहान की भूमिका में नजर आयेंगे।

इस फिल्म में अभिनेत्री का किरदार 2017 में मिस इंडिया रह चुकी मानुषी छिल्लर को कास्ट किया गया है। जो पृथ्वीराज की प्रेमिका के रूप में संयोगिता का किरदार निभायेंगी। इस फिल्म में अक्षय कुमार और मानुषी छिल्लर लीड रोल में नजर आएंगे | इसके अलावा इस फिल्‍म में मानव विज मोहम्‍मद गौरी का रोल निभाते हुए विलेन की भूमिका में नजर आयेंगे । सोनू सूद दरबारी कवि और उनके मित्र चंदरबरदाई का रोल निभायेंगे। वहीं आशुतोष राणा कन्नौज के राजा जयचंद की भूमिका में होंगे। इस फिल्म में, संजय दत्त भी एक अहम् भूमिका में नजर आयेंगे ।

Prithviraj Chauhan
Prithviraj Chauhan

Prithviraj Chauhan फिल्म की रिलीज़ डेट

फिल्म 3 जून 2022 यानि आने वाले महीने को रिलीज़ होगी। हिंदी के अलावा यह फिल्म तमिल और तेलुगु भाषा में भी रिलीज की जाएगी | इस फिल्म की कहानी का पूरा फोकस लड़ाई और प्रेम कहानी पर बनाया जा रहा है। जहां Prithviraj Chauhan की मोहम्मद गोरी से लड़ाई और संयोगिता के साथ उनकी प्रेम कहानी दिखाई जाएगी । ये पूरी फिल्म पृथ्वीराज चौहान की जीवन शैली पर बनायीं गयी है | आइये इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले है Prithviraj Chauhan की पूरी जीवन गाथा की कहानी ताकि आप जब भी पृथ्वीराज चौहान की मूवी को देखे तो आपको समझने में आसानी होगी | यह फिल्म पहले दिसंबर 2020 में रिलीज़ होने वाली थी, लेकिन कोरोना के चलते यह मूवी रिलीज़ नही हो पायी थी | और अभी आने वाले महीने 03 जून को रिलीज़ की जायगी |

Prithviraj Chauhan फिल्म की ट्रेलर

ट्रेलर देखकर लग रहा है, एक्शन सीक्वेंस देखने को मिलेंगे और यह फिल्म धासु होने वाला हैं| लेकिन फिल्म के वॉर सीक्वेंस उसके हाई पॉइंट्स में से होंगे | वहां भी वी.एफ.एक्स और एनिमेशन का इस्तेमाल हुआ है| जो हल्के नहीं लगते है, और खासतौर पर ट्रेलर के एंड में आने वाला शेर का सीक्वेंस|  ऐसे ही सीन्स पर सिनेमाघरों में शूटिंग होती है| बताया जा रहा है की यह फिल्म 300 करोड़ की बजट में बनाया गया है| वैसे तो Prithviraj Chauhan के ऊपर बहुत सारे टीवी सिरियल बन चुके है | और इसमें कोई शक की बात नही है | सारे के सारे सुपरहिट रही है |

लेकिन जिस तरह से Prithviraj Chauhan की कहानी है की वो अकेले ही पुरे फ़ौज पर भारी पड़ जाते थे | उस Visual को टीवी पर दिखाना नामुमकिन है | इसलिए चंद्रप्रकाश द्विवेदी और यश राज फिल्म ने तक़रीबन 8 साल पहले ही सर्वे किया था | की Prithviraj Chauhan पर फिल्म बनाना चाहिए या नही | उस वक्त 98 प्रतिशत लोग चाहते थे की Prithviraj Chauhan की जीवनी पर एक बड़ी फिल्म बने |

और इस फिल्म की कहानी और पोस्ट प्रोडक्शन को बनाने में ही आठ साल लग गये थे | और तब जाकर यश राज फिल्म ने 2019 में इस फिल्म की Announcement की थी | और तब से हर कोई इस फिल्म को लेकर बहुत उत्सुक है की यशराज फिल्म बाहुबली की टक्कर का फिल्म बनाने जा रहे है | और जैसे इस फिल्म का ट्रेलर आया तो ये तय हो गया था | की यह फिल्म बाहुबली का रिकॉर्ड तोड़ने वाली है

Prithviraj Chauhan की कहानी

Prithviraj Chauhan हिन्दुस्तान के वो शासक थे, भारत में जिनका शासन काल 1178 से लेकर 1292 तक चला था | पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1166 में अजमेर राजवंश में हुआ था | Prithviraj Chauhan बचपन से ही साहसी निडर और हर तरह के युद्ध कलाओ में निपूर्ण थे | उनके पिता का नाम राजा सोमेश्वर चौहान था, जो अजमेर के राजा थे| पिता राजा सोमेश्वर चौहान की मृत्यु होने के बाद  केवल 13 साल की उम्र में पृथ्वीराज को राजा बना दिया गया | और पृथ्वीराज चौहान की वीरता का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते है |

पृथ्वीराज चौहान एक देश भक्त और हिन्दू संस्कृति को मानने वाले योद्धा माने जाते थे | जिन्होंने मुस्लिम दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी | 16वीं शताब्दी की किंवदंतियों ने उन्हें भारत के राजनीतिक केंद्र दिल्ली का शासक बताया | पृथ्वीराज चौहान 17 बार मोहम्मद गौरी को युद्ध में हराने के बाद भी उस पर तरस खाकर उसे हर बार छोड़ देते थे | और जब मोहम्मद गौरी ने उसे धोके से बंदी बना लिया तब पृथ्वीराज चौहान की आंखे फोड़ दी गयी | ताकि पृथ्वीराज चौहान कमजोर पड़ जाये | लेकिन तब भी Prithviraj Chauhan ने बिना आँखों के शब्द भेद तीरंदाजी करके मोहम्मद गौरी को उसके ही दरबार में जान से मार दिया | और उसके बाद दुश्मनों के हाथो से मरने के बजाय पृथ्वीराज चौहान ने अपनी जान खुद ले ली | 

हिस्ट्री ऑफ़ Prithviraj Chauhan

हम इतिहास के 12 सदी के पन्नो को खोले तो हमें पता चलेगा | की हाथ में तलवार लिए गजनी का सुलतान गौरी हिंदुस्तान के राज्यों पर धावा बोलते थे | और लूटपाट करते थे| मोहम्मद गौरी चाहते थे, की गजनी सबसे धनी देश बने और हिन्दुस्तान की तरह ये भी सोने की चिड़िया कहलाये | और उसकी निगाहे दिल्ली पर टिकी थी | वही दिल्ली जिसके सिंघासन पर Prithviraj Chauhan विराजमान थे| पृथ्वीराज चौहान बहुत वीर साहसी और युद्ध कला में निपूर्ण थे | आँखों के शब्द भेद तीरंदाजी में वे माहिर थे |

गजनी का सुलतान मोहम्मद गौरी कहते है की हमने बड़े बड़े राज्यों को जीता है | लेकिन जितना खजाना दिल्ली में है उतना कही और नहीं, मोहम्मद गौरी कहते हैं अगर हम दिल्ली के खजाने को लुट ले तो हमारा मुल्क सबसे धनी हो जायगा | तभी उनके सेनापति ने मोहम्मद गौरी को बताते है की दिल्ली के शासक महाराज पृथ्वीराज चौहान को युद्ध में पराजित करना मुस्किल है | और फिर तभी उन्होंने पृथ्वीराज चौहान को युद्ध का आमंत्रण भेजा जाता है | और जैसे पृथ्वीराज चौहान को पता चलता है की गजनी का सुलतान मोहम्मद गौरी दिल्ली पर आक्रमण करना कहते हैं | और जोश में आकर मोहम्मद गौरी दिल्ली पर हमला बोल देता है |

Prithviraj Chauhan और मोहम्मद गौरी के बिच घमाशन युद्ध होता है | और इस युद्ध में मोहम्मद गौरी हार जाते है | और बंदी बना गौरी पृथ्वीराज चौहान से माफ़ी मांगते है | और इसी तरह पृथ्वीराज चौहान 17 बार मोहम्मद गौरी को युद्ध में हराने के बाद भी पृथ्वीराज चौहान उस पर तरस खाकर उसे हर बार छोड़ देते थे | उसी वक्त चन्द्रबरदाई कहते है की इन्हें माफ़ी नही मृत्यु दंड दिया जाये | पृथ्वीराज चौहान से जलने वाले एक ही विदेशी सुलतान ही नहीं बल्कि हिंदुस्तान के राज्यों के सम्राट भी शामिल थे | कननौज के राजा जयचंद भी पृथ्वीराज चौहान की ख्याति देखकर उनसे जलते थे | और उनका अपमान करने के लिए उन्होंने अपनी बेटी संयोगिता का एक स्यंबर रखी | जिसमे पृथ्वीराज चौहान को नहीं बुलाने का निर्णय लिया गया था |

संयोगिता की स्वयंबर की कहानी

संयोगिता, कन्नौज के राजा जयचंद की बेटी थी| बेहद सुंदर थी , जिसका जिक्र दूर-दूर तक होता था| एक बार संयोगिता ने अपने महल में आए एक चित्रकार के चित्र देखते हुए पृथ्वीराज चौहान का चित्र भी देखा था| इस तस्वीर को देखते ही संयोगिता उन्हें दिल दे बैठीं थी| वहीं जब उस चित्रकार ने संयोगिता का चित्र पृथ्वीराज चौहान को दिखाया तो वो भी मन ही मन उन्हें चाहने लगे| लेकिन कहानी में रोमांच आना ही था, क्योंकि संयोगिता के पिता जयचंद और पृथ्वीराज एक दूसरे को पसंद नहीं करते थे|

इसी कारण पृथ्वीराज जिस समय दिल्ली के सिंहासन पर बैठे थे, उस समय जयचंद ने राजसूय यज्ञ और अपनी बेटी का स्वंयवर कराने का निश्चय किया| इस यज्ञ का निमंत्रण जयचंद ने आसपास के सभी राजाओं को भेजा| और पृथ्वीराज को ये निमंत्रण संयोगिता के द्वारा  मिला, लेकिन उनके सामंतों को यह बात ठीक नहीं लगी जयचंद राजसूय यज्ञ कर रहे हैं| इस वजह से पृथ्वीराज ने इस निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया | इसके बाद गुस्साए जयचंद ने यज्ञमण्डप के दरवाजे पर पृथ्वीराज की एक प्रतिमा द्वारपाल के रूप में स्थापित कर दी | और इस तरह बढ़ते बढ़ते, बात काफी आगे बढ़ गई | जब कन्नौज के राजमहल में संयोगिता का स्वयम्बर हुवा तब कई सम्राट उपस्थित थे |

तभी संयोगिता सभी सम्राटों अस्वीकार करके आगे बढती है | और पृथ्वीराज चौहान के बने पुतले को देखकर रुक जाती हैं | और वरमाला उसी के गले में डाल देती है | उसी वक्त पृथ्वीराज चौहान आते हैं और कहते है कि संयोगिता ने मेरी प्रतिमा को जयमाला पहनाई है | इस प्रकार वो मेरी पत्नी हुयी करके, संयोगिता को पृथ्वीराज चौहान स्वयंबर से उठा कर ले जाते हैं | और फिर राजा जयचंद बौखला जाते है |

कैसे हुयी युद्ध

Prithviraj Chauhan के स्वयंबर जितने के बाद जयचंद ने गजनी के सुलतान मोहम्मद गौरी से संधि करके युद्ध करना चाहते थे | और जयचंद को भी दिल्ली का शासक बनने का भुत सवार था | इसी तरह जयचंद और गजनी के सुलतान मोहम्मद गौरी दोनों ने मिलकर युद्ध जित लिया | और पृथ्वीराज चौहान हार गये | युद्ध जितने के बाद  मोहम्मद गौरी ने जयचंद को भी चौराहे की बिच लटकाकर मार दिया | और दिल्ली की सारी दौलत हड़प कर पृथ्वीराज को बंदी बना लिया | और फिर सुलतान मोहम्मद गौरी तीरंदाजी खेल का आयोजन रखते है | जिसमे चन्द्रबरदाई पृथ्वीराज चौहान को भी हिस्सा लेने को कहते है | और खेल शुरु होने से पहले  पृथ्वीराज चौहान और चद्र बरदाई दोनों योजना बनाते है | आप मेरे दोहे के हिसाब से तीर चलाएंगे करके और अपने लक्ष्य भेद तीरंदाजी से पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को मार दिया|

दोहा इस प्रकार था -” चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान”

गुलामी से अच्छा तो मृत्यु लोक है | दुश्मनों के हाथो मरना पृथ्वीराज चौहान के शान के खिलाफ था | पृथ्वीराज चौहान और चद्र बरदाई दोनों योजना बनायीं थी की, मोहम्मद गौरी को मारने के बाद अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए हम अपने प्राण त्याग देंगे | और दोनों ने एक दुसरे को तलवार से मार दिया | और इस प्रकार पृथ्वीराज चौहान और चद्र बरदाई दोनों की मृत्यु हो गयी | पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु की खबर जब संयोगिता को मिला तो उसने भी अपने प्राण त्याग दी |

तो हमारे द्वारा लिखी गयी आर्टिकल में पृथ्वीराज चौहान की कहानी जो अभी मूवी बन रही है आपको कैसी लगी कमेन्ट में जरुर बताये |

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