महान गायिका और भारतीय संगीत उद्योग कि एक आइकन Lata Mangeshkar जी अब हमारे बीच नहीं रही। गायिका लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में रविवार 06 फरवरी 2022 को निधन हो गया। कोरोना से संक्रमित होने के बाद उन्हें इस अस्पताल में भर्ती किया गया था। वह लंबे समय से इस अस्पताल में भर्ती थीं, 5 फरवरी को एक बार फिर उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया था। लेकिन Lata Mangeshkar की जीवन की सांसे टूट गई| और उन्होंने हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया। हम संगीत उद्योग में उनके योगदान को कभी नहीं भूल सकते।
ईश्वर उसकी आत्मा को शांति प्रदान करे। लता मंगेशकर के निधन ने लोगों को निशब्द कर दिया है। अमिताभ ने भी इस क्षति पर एक पंक्ति में Lata Mangeshkar को अपनी श्रद्धांजलि दी है। अपने ऑफिशियल ब्लॉग में महानायक ने लिखा ‘वो हमें छोड़कर चली गईं। दशकों की वो आवाज हमें छोड़ गईं। उनकी आवाज अब जन्नत में गूंजेगी…शांति और सुकून की प्रार्थना की। कोरोना से संक्रमित होने के लगभग एक महीने तक अस्पताल में संघर्ष के बाद लता मगेशकर ने आखिरकार अपनी सांसों को विराम दे दिया।
उनके जाने का गम देश के हर आदमी है। बॉलीवुड हस्तियों ने भी लता मंगेशकर को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की है।
Lata Mangeshkar जी का शुरुवाती जीवन
इन्दोर मध्यप्रदेश में पंडित दीनानाथ मंगेशकर (मराठी & कोंकणी संगीतकार) व पत्नी शेवंती के घर 28 सितम्बर 1929 को Lata Mangeshkar जी का जन्म हुवा था | उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर एक कुशल रंगमंचीय गायक थे। दीनानाथ जी ने लता मंगेशकर को तब से संगीत सिखाना शुरू किया, जब वे पाँच साल की थी। पाँच वर्ष की छोटी आयु में ही आपको पहली बार एक नाटक में अभिनय करने का अवसर मिला। लेकिन Lata Mangeshkar को तो संगीत में दिलचस्पी थी। इसलिए गाने को उन्होंने अपना लक्ष्य बनाया और उसे पूरा करने लगी|
Lata Mangeshkar जी की प्रतिभा को पहचान मिली सन् 1947 में, जब फ़िल्म “आपकी सेवा में” उन्हें एक गीत गाने का मौक़ा मिला। इस गाने के बाद लता मंगेशकर जी को फ़िल्म जगत में एक पहचान मिल गयी और एक के बाद एक कई गाने को गाने का अवसर मिला। भारत की ‘स्वर कोकिला’ लता मंगेशकर ने 25 भाषाओं में 50,000 से भी ज्यादा गाने गाये है। लता मंगेशकर जी को भी अपना स्थान बनाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पडा़।
Lata Mangeshkar जी ने 1949 में गाया गया “आएगा आने वाला” उस समय की प्रसिद्ध पार्श्व गायिका नूरजहाँ के साथ लता मंगेशकर जी की तुलना की जाती थी। लेकिन धीरे-धीरे अपनी लगन और प्रतिभा के बल पर आपको काम मिलने लगा। लता जी की अद्भुत कामयाबी ने लता मंगेशकर जी को फ़िल्मी जगत की सबसे मज़बूत महिला और स्वर कोकिला माना जाता था |
Lata Mangeshkar का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड
बहुत ज्यादा रिकॉर्ड की गई गायिका के लिए वर्ष 1974 में Lata Mangeshkar का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था। लेकिन मोहम्मद रफी इस बात से नाराज थे| और उन्होंने इसका विरोध किया था। लेकिन फिर भी इस किताब में लता जी का नाम दर्ज रहा। बाद में मोहम्मद रफी का नाम भी इस किताब में दर्ज किया गया था। वर्ष 1991 से लेकर 2011 तक लता मंगेशकर Lata Mangeshkar का नाम हटाकर उनकी बहन का नाम इस बुक में दर्ज कर दिया गया था। लता मंगेशकर ने अपने लंबे फिल्मी करियर में भारत के महान कंपोजर और म्यूजिक डायरेक्टर ओपी नैयर के साथ कभी काम नहीं किया। भारत रत्न, पद्म भूषण और पद्म विभूषण सहित तीन राष्ट्रीय और चार फिल्मफेयर पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी हैं। जिनके नाम आपने सुने होंगे, और उनको पाने वालों की महानता के बारे में भी जानते होंगे|
- 2000: आईफा लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड
2001: हीरो होंडा और फाइल मैग्जीन “स्टारडस्ट” द्वारा मिलेनियम की बेस्ट प्लेबैक सिंगर (महिला)|
2001: भारत रत्न
2001: महाराष्ट्र रत्न (पहला प्राप्तकर्ता)|
2002: आशा भोंसले पुरस्कार (प्रथम प्राप्तकर्ता)|
2004: फिल्मफेयर स्पेशल अवॉर्ड|
2007: फ्रांस सरकार ने उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार (ऑफिसर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर) से सम्मानित किया2008: लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए वन टाइम अवॉर्ड
2009: एएनआर राष्ट्रीय पुरस्कार|
2019: भारत सरकार ने सितंबर 2019 में उनके 90वें जन्मदिन पर उन्हें डॉटर ऑफ द नेशन अवॉर्ड से सम्मानित| - 1969: पद्म भूषण
1970: बेस्ट प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयर पुरस्कार (जीने की राह)|
1972: फिल्म परिचय के गीतों के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार|
1974: रॉयल अल्बर्ट हॉल लंदन में परफॉर्मेंस देने वाली पहली भारतीय बनीं|
1974: भारतीय संगीत के इतिहास में सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड करने पर लता मंगेशकर का - नाम 1974 में गिनीज रिकॉर्ड में दर्ज किया गया|
1974: फिल्म कोरा कागज के गीतों के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार|
1977: जैत रे जैत के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर|
1989: दादा साहब फाल्के पुरस्कार| - 1969: पद्म भूषण
1970: बेस्ट प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयर पुरस्कार (जीने की राह)|
1972: फिल्म परिचय के गीतों के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार|
1974: रॉयल अल्बर्ट हॉल लंदन में परफॉर्मेंस देने वाली पहली भारतीय बनीं|
1974: भारतीय संगीत के इतिहास में सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड करने पर लता मंगेशकर का नाम 1974 में गिनीज रिकॉर्ड में दर्ज किया गया|
1974: फिल्म कोरा कागज के गीतों के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार|
1977: जैत रे जैत के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर|
1989: दादा साहब फाल्के पुरस्कार| - 1966: मराठी फिल्म सधी मानस के लिए बेस्ट म्यूजिक डायररेक्टर का अवॉर्ड इसमें उन्होंने ‘आनंदघन’ नाम से संगीत दिया था|
Lata Mangeshkar ने 2019 में की आखिरी रिकॉर्डिंग
Lata Mangeshkar जी के खराब स्वास्थ्य के चलते पिछले कुछ साल से लता मंगेशकर म्यूजिक से दूर रहीं। उन्होंने अपनी आखिरी रिकॉर्डिंग वर्ष 2019 में की थी। जो भारतीय आर्मी को समर्पित ये गाना सौगंध मुझे इस मिट्टी की थी| जिसे मयूरेश पई ने कंपोज किया था। इसे 30 मार्च 2019 में रिलीज किया गया था। उसके बाद से उन्होंने कोई भी गाने की रिकॉर्डिंग या सूटिंग नहीं की|
Lata Mangeshkar ने नहीं की शादी
लता मंगेशकर अपने लाइफ में इतनी उलझी हुयी थी की उन्हें, अपने शादी के बारे में सोचने का मौका ही नही मिल पाया| पिता के निधन के बाद लता मंगेशकर ने घर की जिम्मेदारी निभाने के लिए बाहर कदम रखी। इसी वजह से उन्हें अपनी पढ़ाई को भी बीच में छोड़ने पड़ी। Lata Mangeshkar घर की जिम्मेदारियां निभाने की वजह से ही शादी नहीं कर पाईं। इस बात का खुलासा खुद उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में किया था| जब वह 13 साल की थीं तभी उनके पिता का निधन हो गया था।
ऐसे में घर के सभी सदस्यों की जिम्मेदारियां उन पर आ गई थीं। वह अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। इसी वजह से वह कम उम्र में कमाने लगी थीं। कई बार शादी का ख्याल आता, तो वे उस पर अमल नहीं कर सकती थीं। भाई-बहनों और घर की जिम्मेदारियों को देखते-देखते ही वक्त चला गया और वे सारी उम्र शादी नहीं कर पाईं।
बात करे इसकी लव लाइफ
कहते है कि पहला प्यार किसी का मुक्कमल नही होता और प्यार का एक नजर इश्क कभी नहीं भुलाया जा सकता है। लता मंगेशकर के साथ भी कुछ ऐसा हुवा था। सुरो की मल्लिका को एक महाराजा के साथ इश्क हो गया था। यह महाराजा कोई और नहीं बल्कि उनके भाई का दोस्त था। अगर उनकी शादी होती| तो वे आज एक राज्य की महारानी होतीं। शायद किस्मत को ऐसा मंजूर नहीं था। हालांकि Lata Mangeshkar ने इस बारे में कभी कुछ नहीं कहा, लेकिन उनसे जुड़े हुए लोगों का कहना है|
कि डूंगरपुर राजघराने के महाराजा राज सिंह से लता मंगेशकर बेहद प्यार करती थीं। लता के भाई हृदयनाथ मंगेशकर और राज सिंह एक-दूसरे के अच्छे दोस्त थे। वो एक साथ क्रिकेट खेला करते थे। उनकी मुलाकात उस समय हुई जब राज लॉ करने के लिए मुंबई आए। इस दौरान वो लता के भाई के साथ उनके घर पर जाया करते थे। यह सब आना जाना चलता रहा|
और देखते ही देखते राज और लता की भी दोस्ती हो गई। धीरे-धीरे दोस्ती प्यार में बदल गई। तब तक लता का नाम भी चर्चित हस्तियों में गिना जाने लगा था। इसलिए मीडिया में भी लता और राज के रिश्तों को लेकर बातें उड़ने लगीं। राज तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। राज Lata Mangeshkar को प्यार से मिट्ठू पुकारते थे। उनकी जेब में हमेशा एक टेप रिकॉर्डर रहता था जिसमें लता के चुनिंदा गाने होते थे। कास्ट भेदभाव और राज के माता को लता पसंद नही थी, जिससे राज और लता की शादी नही हो पाई| और दोनों ने शादी भी नही की| राज को जब भी मौका मिलता वह लता के गाने सुनते थे। 12 सितंबर 2009 को राजसिंह का देहांत हो गया था।
लता मंगेशकर की मृत्यु
कोरोना से संक्रमित होने के बाद उन्हें इस अस्पताल में भर्ती किया गया था। वह लंबे समय से इस अस्पताल में भर्ती थीं, 5 फरवरी को एक बार फिर उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया था। लेकिन Lata Mangeshkar की जीवन की सांसे टूट गई| और उन्होंने हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया। गायिका लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में रविवार 06 फरवरी 2022 को निधन हो गया।
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