Dr. Bhimrao Ambedkar Death Anniversary : डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को कौन नहीं जानता है, बाबा साहब अम्बेडकर ने कक्षा के बाहर ही बैठकर बनाया था दुनिया का सबसे बड़ा सविधान। भारत के सबसे पहले कानून मंत्री और सबसे पहले संविधान लिखने वाले अंबेडकर के चाहने वाले और उनसे नफरत करने वाले दोनो ही तरह के लोग आपको मिलेंगे।
कुछ लोग ये भी कहते थे,की अंबेडकर के न चाहने वाले लोग शायद उनके जीते जी काम थे। अंबेडकर पर ढेरो बायोग्राफी लिखी जा चुकी है, उनकी कहानी हर किसी को पता है। लेकिन आज हम आपको उनकी वो कहानी बताने जा रहे है। जो ज्यातार लोगो को पता नहीं है। तो आइए इस आर्टिकल मे जानते है, कि क्या है अंबेडकर साहब की वो कहानी।
अंबेडकर की जन्म तारीख
भीमराव रामजी अंबेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 हुआ था और वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14वीं और अंतिम संतान थे। उनका मराठी मूल का परिवार महाराष्ट्र रत्नागिरी जिले के आंबडवे गांव का था।
वे हिंदूओं में अछूत माने जाने वाली महार जाति के थे जिससे भीमराव को बचपन से ही घोर भेदभाव और सामाजिक तिरस्कार का सामना करना पड़ा था जिसे सहन करने के बाद भी उन्होंने ना केवल समाज में अपना स्थान बनाया, बल्कि दलित और शोषित समाज के उत्थान के लिए पूरे समर्पित भाव से काम किया।
हिंदू धर्म को क्यों खतम करना चाहते थे अंबेडकर
अंबेडकर के बारे में जो लोगो को अट्रैक्ट करती है, वो है उनका धर्म, और धर्म को लेकर लिया गया निर्णय जाति व्यवस्था के कारण अंबेडकर हमेशा हिंदू धर्म के खिलाफ रहे है।1919 में उन्हें लाहौर में धर्म पर बोलने के लिए बुलाया गया था । लेकिन अंबेडकर के विचारो को देखते हुए ऑर्गेनाइजर ने अंबेडकर की स्पीच की कापी पहले से ही मंगवा कर रख ली थी।
जिसकी वजह से अंबेडकर को काफी दिक्कत उठानी पड़ सकती थी। और उन्होंने स्पीच में जाने के लिए मना कर दिया। जाती धर्म के खिलाफ रहने वाले अंबेडकर साहब का जीवन पूरी तरह से ही जाती व्यवस्था के कारण प्रभावित हुआ था। जब अंबेडकर स्कूल में था तो उन्हें संस्कृत पढ़ने से रोका गया, जिसके वजह से उन्हें फारसी पढ़नी पड़ी।
अंबेडकर का हिंदू धर्म का विवाद 1919 में भी सामने आया था। जब उन्होंने दलितों से कहा था कि वह अपना धर्म बदल ले। अंबेडकर झुकाव पहले इस्लाम के तरफ था लेकिन कुछ लोगो ने उन्हें शिख धर्म अपनाने के लिए कहा गया लेकिन अंबेडकर ने वो धर्म भी नहीं अपनाया उन्हें ऐसा धर्म चाहिए जो सिर्फ जाति ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक रूम से भी वह स्वतंत्र हो जाए।
इसलिए उन्होंने बुद्ध धर्म को अपनाया। क्योंकि बुद्ध ने कभी ये नहीं कहा की उनकी बातो को कोई माने, इसके अलावा बुद्ध ने भी ये भी कहा था कि वह समय के साथ अपने आप को बदले जबकि बाकी धर्म में ऐसा नहीं था इसलिए भीमराव अंबेडकर साहब धर्म के खिलाफ थे।
डॉक्टर आंबेडकर ने कब अपनाया था बौद्ध धर्म?
संविधान निर्माता डॉ.भीमराव आंबेडकर ने बरसों तक बौद्ध धर्म का अध्ययन किया था। उसके बाद 14 अक्टूबर, 1956 को उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया था। उनके साथ उनके करीब 5 लाख समर्थक भी बौद्ध धर्म में शामिल हो गए थे। क्योंकि बुद्ध ने कभी ये नहीं कहा की उनकी बातो को कोई माने, इसके अलावा बुद्ध ने भी ये भी कहा था कि वह समय के साथ अपने आप को बदले जबकि बाकी धर्म में ऐसा नहीं था इसलिए भीमराव अंबेडकर साहब धर्म के खिलाफ थे।
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि
आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य मंत्रियों और गणमान्य लोगों ने संसद में Ambedkar Death Anniversary पर श्रद्धांजलि अर्पित की। आज आंबेडकर की पुण्यतिथी पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कांग्रेस सांसदों ने आज संसद में डॉ बीआर अंबेडकर को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती ने आज लखनऊ में बीआर अंबेडकर को उनकी पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित की। और कहा की हम उनकी 67 पुण्यतिथि पर उन्हें दिल से याद करते है।
अंबेडकर साहब की कब हुई थी मृत्यु
अंबेडकर साहब का देहांत 1956 में हुआ था, लेकिन उन्हें 1948 से शुगर की शिकायत हो गई थी। और दवाओं के बुरा प्रभाव की वजह से उनके आंखें भी कमजोर हो गई थीं। 1955 में उनकी सेहत और ज्यादा खराब हो गई थी। उन्होंने अपनी किताब द बुद्धा को पूरा लिखने के बाद ही उन्होंने दिल्ली में अपने घर में नींद में ही अपने प्राण त्यागे थे।
अंबेडकर साहब के 10 अनमोल वचन
- 1 मैं ऐसे धर्म को मानता हु जो स्वतंत्र, समानता और भाई चारा सिखाएं।
- 2 जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिए।
- 3 सबसे पहले और सबसे आखरी में हम भारतीय है।
- 4 एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है,की वह समाज का नौकर बनने के लिए तैयार हो।
- 5 लोग और उनके धर्म को सामाजिक मानकों द्वारा परखे जाना चाहिए।
- 6 मैं किसी समुदाय की प्रगति उस समुदाय की महिलाएं ने जो प्रगति हासिल की है, उसे मापता हू।
- 7 बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
- 8 हिंदू धर्म में विवेक सोच और स्वतंत्र के विकास के लिए कोई गुनजायिस नहीं है।
- 9 हर व्यक्ति जो मिले सिद्धांत की एक देश दूसरा देश पर शासन नहीं कर सकता और उसे कोई दोहराता है,उसे यह भी स्वीकार करना चाहिए की एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शासन नहीं कर सकते।
- 10 एक सफल क्रांति के लिए केवल असंतोष का होना पर्याप्त नहीं है। जिसकी आवश्यकता है, वो है न्याय एवम राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों में गहरी आस्था।